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Friday, March 27, 2020

स्वामी विवेकानंद एक युगपुरुष



स्वामी विवेकानंद का जीवन परिचय :- स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863  में कलकत्ता में एक कायस्थ(कायस्थ भारत [आर्यावर्त] में रहने वाले हिन्दू समुदाय की एक जातियों का वांशिक कुल हैंं पुराणों के अनुसार कायस्थ प्रशासनिक कार्यों का निर्वहन करते हैं।) परिवार में हुआ| उनके बचपन में घर का नाम वीरेश्वर व् औपचारिक नाम नरेन्द्रनाथ दत्त था उनके पिता विशवनाथ कलकत्ता हाई कोर्ट में एक वकील थे व् उनके दादा जी दुर्गाचरण दत्त संस्कृत और फ़ारसी के विद्वान् थे | उन्होंने पचीस साल की उम्र में घर - परिवार छोड़कर साधु बन गए | नरेंद्र की वेद , उपनिषद , भगवत गीता ,रामायण ,महाभारत और पुराणों के अतिरिक्त हिन्दू शास्त्रों में गहन रूचि थी | नरेंद्र में सत्य को जानने की जिज्ञासा उनके जीवन परिचय को पढ़ते है तो पता चलता है | यह बात उस समय की है जब स्वामी परमहंस कलकत्ता के समीप दाक्षिणेष्वर नामक स्थान पर रहते थे | वे सदैव ब्रह्म लीन रहते थे परन्तु जिज्ञासु को भी अपनी अमृतवाणी से तृप्त कर लेते थे | नरेंद्र के रिश्तेदार के कहने पर  एक बार नरेंद्र स्वामी परमहंस के पास गए | स्वामी परमहंस ने उन्हें देखते ही कहा की “क्या तुम धर्म विषय पर भजन गा सकते हो” तभी नरेंद्र ने कहा की है गा सकता हु और उन्होंने दो- तीन भजन मधुर स्वरों में गाये उनके भजन सुनकर स्वामी परमहंस अत्यंत खुश हुए तभी से नरेंद्र स्वामी परमहंस का सत्संग करने लगे और उनके शिष्य बन गए |

नारी का सम्मान

स्वामी विवेकानंद जी की ख्याति देशविदेश में फैली हुई थी। एक बार कि बात है। विवेकानंद जी समारोह के लिए विदेश गए थे। और उनके समारोह में बहुत से विदेशी लोग आये हुए थे ! उनके द्वारा दिए गए स्पीच से एक विदेशी महिला बहुत ही प्रभावित हुईं।
और वह विवेकानंद जी के पास आयी और स्वामी विवेकानंद से बोली कि मैं आपसे शादी करना चाहती हुँ ताकि आपके जैसा ही मुझे गौरवशाली पुत्र की प्राप्ति हो।
इसपर स्वामी विवेकानंद जी बोले कि क्या आप जानती है। किमै एक सन्यासी हूँभला मै कैसे शादी कर सकता हूँ अगर आप चाहो तो मुझे आप अपना पुत्र बना लो। इससे मेरा सन्यास भी नही टूटेगा और आपको मेरे जैसा पुत्र भी मिल जाएगा। यह बात सुनते ही वह विदेशी महिला स्वामी विवेकानंद जी के चरणों में गिर पड़ी और बोली कि आप धन्य है। आप ईश्वर के समान है ! जो किसी भी परिस्थिति में अपने धर्म के मार्ग से विचलित नहीं होते है।
कहानी से शिक्षा:-
स्वामी विवेकानंद के इस कहानी से हमें यही शिक्षा मिलती है कि सच्चा पुरुष वही होता है जो हर परिस्थिति में नारी का सम्मान करे

स्वामी विवेकानन्द के शिक्षा दर्शन के आधारभूत सिद्धान्त


1. शिक्षा ऐसी हो जिससे बालक का शारीरिक, मानसिक एवं आत्मिक विकास हो सके।
2. शिक्षा ऐसी हो जिससे बालक के चरित्र का निर्माण हो, मन का विकास हो, बुद्धि विकसित हो तथा बालक आत्मनिर्भर बने।
3. बालक एवं बालिकाओं दोनों को समान शिक्षा देनी चाहिए।
4  धार्मिक शिक्षा, पुस्तकों द्वारा देकर आचरण एवं संस्कारों द्वारा देनी चाहिए।
5. पाठ्यक्रम में लौकिक एवं पारलौकिक दोनों प्रकार के विषयों को स्थान देना चाहिए।
6. शिक्षा, गुरू गृह में प्राप्त की जा सकती है।
7. शिक्षक एवं छात्र का सम्बन्ध अधिक से अधिक निकट का होना चाहिए।
8. सर्वसाधारण में शिक्षा का प्रचार एवं प्रसार किया जान चाहिये।
9. देश की आर्थिक प्रगति के लिए तकनीकी शिक्षा की व्यवस्था की जाय।
10. मानवीय एवं राष्ट्रीय शिक्षा परिवार से ही शुरू करनी चाहिए।
11. शिक्षा ऐसी हो जो सीखने वाले को जीवन संघर्ष से लड़ने की शक्ती दे।
12 . स्वामी विवेकानंद के अनुसार व्यक्ति को अपनी रूचि को महत्व देना चाहिए|
                                        

स्वामी विवेकानंद के अनमोल वचन
  • उठो जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त नहीं हो जाता।
  • हर आत्मा ईश्वर से जुड़ी है, करना ये है कि हम इसकी दिव्यता को पहचाने अपने आप को अंदर या बाहर से सुधारकर। कर्म, पूजा, अंतर मन या जीवन दर्शन इनमें से किसी एक या सब से ऐसा किया जा सकता है और फिर अपने आपको खोल दें। यही सभी धर्मो का सारांश है। मंदिर, परंपराएं , किताबें या पढ़ाई ये सब इससे कम महत्वपूर्ण है।
  • एक विचार लें और इसे ही अपनी जिंदगी का एकमात्र विचार बना लें। इसी विचार के बारे में सोचे, सपना देखे और इसी विचार पर जिएं। आपके मस्तिष्क , दिमाग और रगों में यही एक विचार भर जाए। यही सफलता का रास्ता है। इसी तरह से बड़े बड़े आध्यात्मिक धर्म पुरुष बनते हैं।
  • एक समय में एक काम करो और ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा उसमे डाल दो और बाकि सब कुछ भूल जाओ
  • पहले हर अच्छी बात का मजाक बनता है फिर विरोध होता है और फिर उसे स्वीकार लिया जाता है।
  • एक अच्छे चरित्र का निर्माण हजारो बार ठोकर खाने के बाद ही होता है।
  • जीवन में ज्यादा रिश्ते होना जरुरी नहीं लेकिन रिश्तो में जीवन होना बहुत जरुरी है।

भारत में स्वामी विवेकानन्द की जयन्ती  12 जनवरी को प्रतिवर्ष राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है।
स्वामी विवेकानंद के शिक्षा पर विचार मनुष्य-निर्माण की प्रक्रिया पर केन्द्रित हैं,
                                                
                                                   

कुलदीप गेट

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