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Wednesday, October 22, 2025

बैंकिंग नियमों पर RBI ने लोगों के सुझाव मांगे:साइबर फ्रॉड 3 दिन में बताने पर बैंक की जवाबदेही होगी, अप्रैल 2026 तक लागू होंगे नियम

बैंकिंग नियमों पर RBI ने लोगों के सुझाव मांगे:साइबर फ्रॉड 3 दिन में बताने पर बैंक की जवाबदेही होगी, अप्रैल 2026 तक लागू होंगे नियम

अगले 3-4 महीनों में आपके बैं​​क के कामकाज में कई बड़े बदलाव आने वाले हैं। RBI ने 238 बैंकिंग नियमों के ड्राफ्ट जनता के लिए जारी किए हैं। इन पर 10 नवंबर तक सुझाव मांगे हैं। RBI के पूर्व गवर्नर आर. गांधी ने कहा, ‘नियामक कानूनों में पहली बार डॉफ्ट जनता के सामने जारी करके उनसे सुझाव मांगे जा रहे हैं।’

नए नियम 2026 की शुरुआत से लागू होंगे। प्रस्तावित सुधारों के तहत साइबर फ्रॉड के मामलों में यदि ग्राहक तीन दिन में जानकारी देता है तो उसकी जवाबदेही शून्य होगी। अगर बैंक समय पर कार्रवाई नहीं करते हैं, तो उन पर ₹25,000 तक जुर्माना लगाया जा सकेगा।

चोरी या लापरवाही की स्थिति में बैंक को लॉकर किराए का 100 गुना तक हर्जाना देना होगा। सामान्य खातों की केवाईसी 10 साल में एक बार, मध्यम जोखिम वालों की 8 साल में, और उच्च जोखिम वालों की हर 2 साल में करनी होगी।

लोन ब्याज दर तय करने में एक समान फॉर्मूला लागू होगा। सभी लोन पर प्रीपेमेंट पेनाल्टी खत्म होगी। 70 वर्ष से अधिक उम्र के ग्राहकों को घर बैठे बैंकिंग सुविधा मिलेगी। इन सुझावों पर ​विचार करने के बाद 1 जनवरी से 1 अप्रैल 2026 तक ये सारे नियम लागू हो जाएंगे

20 पॉइंट में जानें... प्रस्तावित बड़े बदलाव व उनका आप पर क्या असर?

1. लॉकर चोरी/नुकसान: बैंक को किराए का 100 गुना हर्जाना देना होगा।

पहले: बैंक पर जवाबदेही ही नहीं थी।

असर: मजबूत सुरक्षा गारंटी मिलेगी।

2. क्लेम सेटलमेंट: क्लेम 15 दिन के अंदर ही निपटाना अनिवार्य होगा।

पहले: कोई समय सीमा तय नहीं थी।

असर: जल्दी समाधान मिल जाएगा।

3. साइबर फ्रॉड: ग्राहक तीन दिन में बताएं तो जवाबदेही 0, बैंक देरी करे तो 25 हजार जुर्माना।

पहले: समयसीमा नहीं थी।

असर: बैंक जवाबदेह बनेंगे।

4. KYC: सामान्य खातों में 10 साल, मध्यम में 8 साल, उच्च जोखिम में 2 वर्ष में KYC।

पहले: समय तय नहीं ​था।

असर: बार-बार से मुक्ति।

5. KYC आउटसोर्स: बैंक खुद KYC करेंगे, कोई एजेंसियां नहीं।

पहले: कई बैंक आउटसोर्स करते थे।

असर: ग्राहक डेटा अधिक सुरक्षित।

6. वरिष्ठ नागरिक बैंकिंग: 70 वर्ष से ऊपर वालों को घर बैठे सेवा देंगे।

पहले: इस पर स्पष्ट नियम नहीं था।

असर: बुजुर्गों के लिए बैंकिंग सहज।

7. लोन ब्याज फॉर्मूला: एकीकृत फॉर्मूले से ब्याज तय किया जाएगा।

पहले: बैंक अपनी दर तय करते थे।

असर: पारदर्शिता व समानता बढ़ेगी।

8. कम अवधि के लोन: 3 साल से कम के लोन भी MCLR से नीचे नहीं।

पहले: कम दर पर दिए जा सकते थे।

असर: ब्याज दरों में भेदभाव खत्म।

9. प्रीपेमेंट पेनॉल्टी खत्म: सभी लोन पर कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लगेगा।

पहले: छूट सिर्फ रिटेल लोन पर थी।

असर: जल्दी लोन चुकाना आसान।

10. लोन का ब्योरा: बैंक को ब्याज, फीस, पेनाल्टी का ब्योरा देना होगा।

पहले: जानकारी अस्पष्ट रहती थी।

असर: छिपे हुए चार्ज खत्म हो जाएंगे।

11. अनक्लेम्ड जमा: दावा आते ही बैंक पैसे लौटाएगा, फिर RBI से लेगा।

पहले: राशि RBI फंड में जाती थी।

असर: जमा राशि वापसी आसान होगी।

12. लॉटरी/चिटफंड पर रोक: ऐसे खातों या ट्रांजैक्शन की मंजूरी नहीं देंगे।

पहले: लॉटरी पर कोई रोक नहीं थी।

असर: फर्जी स्कीम से सुरक्षा मिलेगी।

13. ​सिबिल अपडेट: पेमेंट/ डिफॉल्ट हर माह 15 तारीख तक अपडेट होगा।

पहले: 90 दिन की समयसीमा थी।

असर: क्रेडिट स्कोर की रिपोर्ट सुधरेगी।

14. सीज प्रॉपर्टी: जब्त संपत्तियां हर माह वेबसाइट पर अपडेट की जाएंगी।

पहले: ब्योरा सार्वजनिक नहीं होता था।

असर: ग्राहक को पूरी जानकारी मिलेगी।

15. लोन डाउनपेमेंट: ₹20 लाख से अधिक के होम लोन पर 80% मिलेगा।

पहले: सभी लोन पर सीमा 90% थी।

असर: ज्यादा डाउनपेमेंट देना पड़ेगा।

16. डिजिटल लोन: कम से कम 1 दिन का कूलिंग ऑफ पीरियड जरूरी।

पहले: कोई समय सीमा तय नहीं थी।

असर: लोन रद्द करने का वक्त होगा।

17. लोन दस्तावेज: बैंक लोन चुकाने के बाद 30 दिन में लौटाएंगे, वरना रोज ₹5,000 जुर्माना।

पहले: कोई तय सीमा नहीं थी।

असर: दौड़-भाग खत्म होगी।

18. गोल्ड लोन नीलामी: ग्राहक की उपस्थिति व शपथ पत्र अनिवार्य होगा।

पहले: कंपनियां मनमर्जी से करती थीं।

असर: निष्पक्ष नीलामी संभव होगी।

19. संपत्ति घोषणा: निजी बैंक के कर्मियों को संपत्ति का ब्योरा देना होगा।

पहले: केवल सरकारी में ही लागू था।

असर: पारदर्शिता व जवाबदेही बढ़ेगी।

20. संवेदनशील पदों पर छुट्टी: बैंक कर्मियों को 10 दिन की अनिवार्य छुट्टी।

पहले: सभी बैंकों में समान नहीं थी।

असर: धोखाधड़ी रोकने में मदद होगी।


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